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दूसरों की खुशियों में सुख ढुंडेंगे, तो खुद भी खुश रहेंगे ।
दूसरों को दुखदर्द देंगे तो ? खुद भी दुखी रहेंगे !
मस्त रहेंगे, स्वस्थ रहेंगे।
प्रभु परमात्मा के प्रेम से,सारी दुनिया को भी, स्वस्थ – मस्त बनायेंगे ।
हँसते रहो, दूसरों को भी हँसाते रहो।
जीवनभर के लिए, सुखों का भंडार, बाँटते रहेंगे।
बिना पैसों का व्यापार, बिना पैसों का है,यह आनंद का व्यवहार।
पशुपक्षीयों को भी प्रेम बाँटते रहो।
सभी को खुश करते रहो।
विनोदकुमार महाजन