72 Views

*तुझा दास मी व्यर्थ जन्मास आलो ?*
✍️ २४०१

*विनोदकुमार महाजन*

🐂🐂🐂🐂🐂

मेरी , आप सभी की
माँ – गौमाता..
जिसकी हर दिन ?
बहुत ही क्रूरता से…
हत्याएं हो रही है !
जिसके खून की नदीयाँ
लगातार बह रही है !

और हम गौमाताओं के
सभी तेजस्वी पूत्र ?
हताश , उदास ,निराश होकर
हरदिन उसकी हत्याएं
देख रहे है !?

व्यर्थ है ऐसा मजबूर
मानवीदेह !?
जो सत्य को न्याय
नहीं दे सकता है !?
ईश्वरी सिध्दांतों की
जीत नहीं कर
सकता है !?
गौमाताओं की हत्या
तुरंत नहीं रोक
सकता है !?
माता गंगा का
शुध्दिकरण
नहीं कर सकता है !?

व्यर्थ है मनुष्य जन्म !?
व्यर्थ है मानवी देह का
ईश्वरी प्रायोजन ??
मेरा और तुम्हारा सभी
का भी ??

भयंकर पाप आँखों से
देखने के सिवाय
पर्याय नहीं है ?

अस्मानी , सुल्तानी
सैतानी राज ??

क्या कोई भी ?
( तानाशाह बनकर ?? )
हाहाकारी अधर्मीयों का
नंगानाच…
तुरंत रोकने की क्षमता
नहीं रखता है
इस देश में ?

कहाँ लुप्त हो गया
हमारा ,हम सभी का
धधगता ईश्वरी तेज ?

एक भी ” शिवराय ”
नहीं है इस देवीदेवताओं
के देश में ??

तो आखिर यही
कहना पडेगा क्या … ?

” तुझा दास मी व्यर्थ
जन्मास आलो !! ”

जय श्रीकृष्ण !
जय श्रीराम !
जय शिवराय !

🚩🚩🚩🚩🚩

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!