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*अच्छे लोगों के नशीब में हमेशा* दुख ही क्यों होता है ?
✍️ २४७७

*विनोदकुमार महाजन*
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युग….
चाहे कौनसा भी हो
सत्य की और सच्चाई के रास्ते से चलनेवालों की ही सत्वपरीक्षा , अग्नीपरीक्षा ली जाती है !

युग चाहे राम का हो या फिर
कृष्णकन्हैया का हो !
या फिर ज्ञानेश्वर महाराज , शिवाजी महाराज का हो !

निरंतर दुख तो सत्यवादीयों को और सत्य के रास्ते से चलनेवालों को ही भोगना पडता है !

राम ने दुख भोगा !
रावण ने राम को दुख दिया !
मगर उसी राम के हाथों से ही रावण का वध हुवा !
कृष्ण ने दुख भोगा !
और उसको भी दुख देनेवाले
कँस , दुर्योधन जैसे महाराक्षसों का वध भी कृष्ण के हाथों से ही हुवा !
प्रल्हाद ने दुख भोगा !
और हिरण्यकशिपु का वध भी प्रल्हाद के ईश्वर ?
नारसिंह के हाथों से ही हुवा !

शंकराचार्य , संत ज्ञानेश्वर , संत तुकाराम जैसे महापुरुषों को भी भयंकर दुखदर्द और नरकयातनाएं भोगनी पडी !

शिवाजी महाराज ,संभाजी महाराज , महाराणा प्रताप , गुरूगोविन्द सिंह , पृथ्वीराज चौहान जैसे महापुरुषों को भी भयंकर नरकयातनाएं भोगनी पडी !

सावरकर , सुभाषचंद्र बोस , श्यामाप्रसाद मुखर्जी , करपात्री महाराज जैसे अनेक महापुरुषों को भी भयंकर दुखदर्द भोगना पडा !

*ऐसा क्यों ??*

युग चाहे कौनसा भी हो ?
सत्य को और सत्यवादीयों को ही केवल दुख भोगना पड़ता है ?

*महादेव को ही हलाहल हजम* *करना पडता है ?*

आखिर यह कैसी ईश्वर की , नियती की अजब रचना है ?
विचित्र रचना है ?

*क्या ?*
*आज भी ??*
*हर सत्यवादी ?*
त्रस्त है ? परेशान है ? मजबूर है ? विचित्र और विपरीत परिस्थितियों से तंग है ? मुसिबतों में फँसा हुवा है ?

*जी हाँ !*
क्योंकि सत्य का रास्ता आसान नहीं होता है !
तलवार की तेज धारपर चलने जैसा होता है !

पैरों से खून निकलने लगता है !
और आँखों से खून के आँसु !

और ? दुनिया और दुनायादारी भी बडी जालिम और बेरहम होती है ! और नियती भी !

ऐसे लोगों को ही बारबार रूलाती है !

मगर एक बात भी पक्की तय है की….
*अंतिम विजय भी….*
ऐसे ही *जीगरबाज* लोगों की ही होती है !

धर्म की अंतिम विजय और
सत्य की अंतिम विजय के लिए
लडते रहेंगे !

*हर हर महादेव !!*

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