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*प्रेम ? मत करिए !!*
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प्रेम….
कितना पवित्र शब्द….!!
जो स्वयं ईश्वर के ह्रदय से ही उत्पन्न होता है !
वैसे तो प्रेम हर एक सजीव प्राणी तो करता ही है !
है ना साथियों ?
संवेदनशील प्राणी की प्रेम की परिभाषा कुछ अलग होती है ! और ? संवेदनशून्य प्राणी की अर्थात ह्रदयशून्य या फिर पत्थरदिल के नजरों से अलग !
वैसे तो प्रेम कोई भी , कभी भी कर सकता है !
बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक !
ईश्वर से , सद्गुरु से , पशुपक्षियों से , हर सजीवों से भी तो प्रेम किया जाता है !
प्रेम निरपेक्ष भी होता है !
प्रेम मतलबी भी हो सकता है ! हर एक का अंदाज अलग अलग !
मगर आज के कलियुग के भयंकर माहौल में , मतलब की दुनियादारी में , सचमुच में ? पवित्र , निरपेक्ष , निर्वाज्य प्रेम मिल भी सकेगा ?
लगभग नामुमकिन !
मतलब की दुनिया में , प्रेम में भी , स्वार्थ , अहंकार और मोह छूपा हुआ होता है !
तो ऐसे माहौल में सचमुच में निरपेक्ष , संपूर्ण समर्पित , सच्चा प्रेम भी मिल सकेगा ?
विशेषत: मनुष्य प्राणीयों से ?
लगभग असंभव !
पशुपक्षियों से प्रेम करेंगे तो ? प्रेम ही मिलेगा !
ईश्वर से प्रेम करेंगे तो भी ?
प्रेम ही मिलेगा !
मगर मनुष्यों से ?
शायद छल ,कपट , धोखा ही मिलेगा !
मनुष्यों में इसीलिए तो ?
प्रेम में बहुत धोखे होते है !
एक पूराना फिल्मी गाना भी है ना ?
” बाबूजी धीरे चलना…
प्यार में बडे संभलना !
बडे धोखे है इस राह में ! ”
धोखे मनुष्यों से मिलेंगे !
पशुपक्षियों से नहीं !
ईश्वर से भी नहीं !
और ? सद्गुरु से भी नहीं !
इसिलिए प्रेम करना है तो ईश्वर से करिए !
सद्गुरु से करिए !
पशुपक्षियों से करिए !
वैसे तो प्रेम अमृत समान होता है !
पवित्र !
निरपेक्ष !
इसीलिए स्वयं ईश्वर के ह्रदय से ही उत्पन्न होता है !
मगर नफरत ?
यह तो एक भयंकर जालीम जहर है ! और जो आसुरिक संपत्तियों के ह्रदय से उत्पन्न होता है !
तो आज के भयंकर कलियुगी माहौल में ? पवित्र ,ईश्वरीय प्रेम भी मिल सकेगा ?
इसीलिए अगर कोई सच्चा साथी भी मिलेगा तो ?
जरूर प्रेम करिए !
चाहे कोई स्री मिले अथवा पुरूष !
और अगर नहीं भी मिले तो ईश्वर से जरूर प्रेम करिए !
*श्रीकृष्ण जैसा !*
निर्वाज्य !!
निरपेक्ष !!
पवित्र !!
और अगर ह्रदयशून्य समाज में , प्रेम की परिभाषा समझने वाला ,ऐसा कोई नहीं भी मिला तो ?
स्वयं ईश्वर से प्रेम करिए !
तुम्हारे प्रेम के लिए वह दयालु प्रभु परमात्मा पागल हो जायेगा !
और तुम्हारे प्रेम के लिए वह
सबकुछ नौछावर भी करेगा !
मिरा का भी शाम !
राधा का भी शाम !
अर्जून का भी शाम !
और ?
गरीब सुदामा का भी ? शाम !!
जय हो !
प्रभु परमात्मा भगवान श्रीकृष्ण की जयजयकार हो !
त्रिवार जयजयकार हो !
भगवान श्रीकृष्ण के पवित्र चरणकमलों पर संपूर्ण जीवन समर्पित है !
भगवान श्रीकृष्ण की जय !!
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*विनोदकुमार महाजन*