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*जलबीन तडपती मछली !?*
✍️ २४३३

🦈🦈🦈🦈🦈🦈🦈

जलबीन तडपती मछली को
कौन समंदर में छोड देगा ?
शायद ?
कोई इंन्सान तो दयालू नही होगा ! जो तडपती मछली पर दया दिखायेगा ?
मछली को पकाकर खाने की ही
सब सोचते रहेंगे !
अथवा उसे तडपती ,मरती देखकर दूर चले जायेंगे ?

मगर ईश्वर तो तडपती मछली पर
प्रेम भी दिखायेगा और खुद समंदर ही तडपती मछली के पास भेज देगा !?
( मछली का प्रारब्ध अच्छा हो तो….? )

और जलबीन तडपती मछली फिरसे आनंदीत हो उठेगी !

तात्पर्य : – मुसिबतों में फँसनेवाले सिध्दपुरूषों को खुद ईश्वर ही मुसिबतों से छुटकारा देता है और उसे अनेक सिध्दीयाँ भी देता है !

रिश्तेनाते ऐसे समय में दूर भाग जाते है और दूरसे ठहाके लगाकर उसे हँसते रहते है और तमाशा देखते रहते है !?

और समाज ?
ऐसे समय में भयंकर क्रूरता से नरकयातनाएं देता रहता है !

अनाथ … बिना माँबाप के ,
संत ज्ञानेश्वर और उनके भाई निवृत्ति ,सोपान और मुक्ताबाई दो वक्त की रोटी के लिए तरस रहे थे , तडप रहे थे …
ऐसे समय में उन्हें रोटी देना तो दूर , ढसढसा रूलाया ऐसे पवित्र आत्माओं को !
समाज ने भी और स्वकियों ने भी !?

जरा उनके अंदर उसी स्थिति में परकाया प्रवेश करके तो देखो ?
आँखों से आँसुओं की धारा बहने लगेगी ! ( अगर आप संवेदनशील है तो ? )

ऐसा समय आपपर आता तो क्या करते ??
गहराई से सोचो !

इसीलिए ,
भयंकर मुसिबतों के समय में जो भी सहायक होता है अथवा सहारा बनता है ,वह देवदूत ही होता है !

*जय श्रीकृष्णा !!*

🐟🐟🐟🐟🐟🐟🐟

*विनोदकुमार महाजन*

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