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सर्पों का सहयोग ?
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वैसे तो
दुष्टों को सर्पों के जैसा ही समझा जाता है !
क्योंकि ऐसे लोग हमेशा सर्पों जैसा जहर ही निरंतर उगलते रहते है !
तो ऐसे दुष्टों का हमें हमारे कार्यों में सहयोग मिलने की संभावना भी कैसे कर सकते है ?

वैसे तो सर्पों का स्थान भी नागदेवता के रूप में , जहरीले होकर भी पूजनीय होता है ! और देवीदेवताओं के सरपर , गले में भी सर्प विराजमान रहते है !

मगर समाज में दुष्टों का स्थान कौनसा होता है ? विश्वासघाती के रूप में ही रहता है !
और ऐसे विश्वासघाती लोगों का ईश्वरी कार्य में अथवा हिंदुराष्ट्र निर्माण कार्य के लिए हम सहयोग भी कैसे ले सकते है ?
और अगर गलती से इनका सहयोग लेंगे तो भी ? कार्य सफलता के बजाए कार्य नाश ही होगा ऐसे लोगों द्वारा !

इसीलिए इनसे सहयोग लेना तो दूर की बात है , इनके नजदीक जाना भी गलत साबित होगा ! ऐसे लोगों से सदैव दूरी ही रखनी होगी !

और समाज में ऐसे ही विघ्न संतोषी लोग बहुत मिलेंगे !
हमारे वैयक्तिक मुसीबतों में भी हमसे सहयोग करने के बजाए , हमें निरंतर पीडा , आत्मक्लेश देनेवाले ही बहुत मिलेंगे ! तो ?
सामाजिक कार्यों के लिए भी कितने प्रतिशत सच्चे , अच्छे ,तत्वनिष्ठ लोग हमसे सहयोग करेंगे ?

विशेषत: हम उन्हें हमारे ,अपने समझते थे ?
शायद ? एक भी नहीं !
उल्टा हमारे मुसीबतों में हमारे अपने ही हमारा सफाया करने का मौका ढूंढते रहेंगे तो ?
यह तो भयंकर जटिल समस्या है ?

विशेषत: उनके मुसीबतों में हमने तन मन धन से सहयोग करने के बाद भी ?

और आज के भयंकर युग में,धर्म कार्य में , ईश्वरी कार्य में , सच्चे मन से सहयोग करनेवाले कितने प्रतिशत लोग मिलेंगे ?
हर जगहों पर छूपे हुए आस्तिन के साप ही निकलेंगे तो कार्य सफल भी कैसे होगा ?

आखिर खुद ईश्वर भी दुष्ट लोगों पर विश्वास नहीं करता है ! तो ?
कार्यसफलता की रणनीति हम भी कैसे बनाएंगे ?

विशेषत: हिंदुराष्ट्र निर्माण के कार्य के लिए ?

अगर अनेक हिंदुही हिंदुराष्ट्र नहीं चाहते है अथवा हिंदुराष्ट्र निर्माण में हिंदुही बाधक साबित हो रहे है तो आखिर इसका इलाज भी क्या है ?

कितने प्रतिशत हिंदुओं का हिंदुराष्ट्र निर्माण कार्य के लिए सहयोग है , कितने प्रतिशत हिंदुओं का विरोध है ,और कितने प्रतिशत फर्जी नामधारी हिंदू ,
हिंदुराष्ट्र निर्माण में बाधक है ,और ऐसी भयंकर जटिल समस्या का अंतिम उत्तर भी क्या है ? यह भी देखना होगा !

हिंदुराष्ट्र निर्माण का हमारा संकल्प तो है ही !
मगर उसमें कौनसी बाधाएं है ? यह देखना और उसपर उत्तर ढूंढना ही पडेगा !

अगर हिंदुराष्ट्र के लिए,कुछ प्रतिशत खुद हिंदुओं का ही विरोध रहेगा तो जल्दी हिंदुराष्ट्र भी कैसे बनेगा ?
और ऐसी विपरीत बाधाओं को दूर करने का अंतिम उत्तर भी क्या होगा ?

कुछ स्वार्थान्ध अथवा मुर्दाड मन के नंपुसक लोग ही ऐसे कार्य के लिए बाधक साबित होते है और इनकी और इनको साथ देनेवाले , आक्रमणकारी मानसिकता वालों की संख्या जादा रहेगी तो ? हमारा संकल्प भी कैसे पूरा होगा ?

सोचो !!
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विनोदकुमार महाजन

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