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*सिध्दांत और सुखदुःख*
✍️२४७८
*विनोदकुमार महाजन*
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जो सिध्दांतों के लिए जिते है ,
उन्हे सुखदुखों की पर्वा नहीं होती है !
आदर्श सिध्दांतों पर चलनेवाले व्यक्तियों के लिए ,
धन – वैभव , मोह – माया ,
मान – अपमान की कोई चींता नहीं होती है ! अथवा पर्वा भी नहीं होती है !
सिध्दांतों की जीत के लिए ऐसे महात्मा हमेशा अपनी ही धून में जिते है !
जहर भी हजम करना पडे अथवा मृत्यु को भी गले लगाना पडे तो भी ऐसे व्यक्ति पिछे नहीं हटते है !
अनेक क्रांतिकारियों ने सिध्दांतों के लिए हँसते हँसते मृत्यु को भी गले लगाया !
राजे संभाजी , गुरु गोविंदसिंह जैसे अनेक महापुरुषों ने सिध्दांतों की रक्षा के लिए मृत्यु स्वीकार की ,मगर सिध्दांत नहीं छोडे !
मगर आज ?
लालच में आकर सिध्दांतों को भी पैरों तले कुचला जा रहा है !
फ्री की बिजली ,पाणी जैसे लालच इंन्सानों को सिध्दांतविहीन और संस्कार शून्य बना रहा है !
और इसका इलाज भी नजर नहीं आ रहा है !
सख्त और कठोर कानून बनाकर ही सिध्दांतविहीन समाज अथवा व्यक्ति को सही रास्ते पर लाया जा सकता है !
और आज के कानून के बारें में क्या लिखे ?
घटिया कानून समाज बरबाद कर सकता है ! और सामाजिक सौहार्द समाप्त करने में सहायभूत हो सकता है !
परिणाम स्वरूप समाज और देश में अराजकता बढती रहती है ! और वह समाज अथवा देश हर क्षेत्र में पिछे जाने लगता है !
अगर जानबूझकर कानून ही घटीया बनाकर समाज तोडऩे की और समाज को असंस्कृत बनाने की साजिश रची जाती है तो…?
इसपर तुरंत साम – दाम – दंड – भेद नितीद्वारा अंकुश प्राप्त करने की सख्त जरूरत होती है !
क्या हमारे संस्कृति संपन्न देश में भी अराजकता फैलाने के लिए और सिध्दान्त समाप्त करने के लिए भयंकर कुटिल निती द्वारा और भयंकर षड्यंत्र द्वारा ऐसा प्रयास किया गया है ?
अगर हाँ तो ?
इसे तुरंत रोकना ही पडेगा !
इसके लिए , सिध्दांतों की रक्षा के लिए , अगर कोई सच्चाई के रास्ते पर चलनेवाला अगर कठोर तानाशाह भी आयेगा तो भी चलेगा !
क्योंकि ईश्वरी कानून और कुदरत का कानून ,पशुपक्षी सहीत सभी सुसंस्कृत लोगों को अभय देने के लिए ऐसा सख्त कदम उठाना अत्यावश्यक भी है !
रामराज्य के लिए ऐसा कदम उठाना जरूरी है !
अगर A प्लैन फेल हो जाता है तो ? तुरंत B प्लैन भी हमारे हाथ में होना अत्यंत जरूरी है !
सोचो ,समझो ,जानो ,जागो !!
सुसंस्कृत समाज निर्माण के लिए निर्णायक बनो !
तभी देश और संस्कृति ,सिध्दांत बचेंगे !
जय श्रीराम !
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