28 Views

*एक था राजा….*
✍️ २५७०
****************

विशेष सूचना : – हिंदू धर्म पर जी जान से प्रेम करनेवाले हर भारतीय और विदेशों में रहनेवाले हर हिंदुओं के लिए यह लेख अत्यंत महत्वपूर्ण है !

संपूर्ण विश्व में हिंदू धर्म को और हर हिंदुओं को पुनर्वैभव प्राप्त कर देने के लिए , हर हिंदुओं को प्रोत्साहित करनेवाला और आत्मनिर्भर करनेवाला यह महत्वपूर्ण लेख है !

एक राजा की बोधकथा के रूपक में इसको संजोया है !

*एक था राजा !!!*

संपूर्ण पृथ्वी पर बडे आनंद से राज्य करनेवाला एक चक्रवर्ती राजा था !
सम्राट !!
प्रजा पर जी जान से प्रेम करनेवाला ! प्रजाहित दक्ष !
वैभवसंपन्न , दयालु ,परोपकारी ,मानवताप्रिय ,पशुपक्षियों में भी ईश्वर का रूप देखने वाला !

सोने की चिडिय़ा वाला संपन्न राज्य ! हर एक के घर से सोने का धूवाँ निकलता था !
चारों ओर आनंदी आनंद , आबादी आबाद था !
हर एक व्यक्ति खुशहाल था !

ईश्वर निर्मित सत्य सनातन धर्म के छाया में हर एक व्यक्ति बडे मजे में था !
सहिष्णु , परोपकारी ,भूतदया माननेवाला , वसुधैव कुटुम्बकम पूजनेवाला , आदर्श , सुसंस्कारित था !
धन की भीक माँगने वाला नहीं बल्कि धन बाँटने वाला था ! धन के बैसाखियों पर चलने वाला पंगू , अपाहिज नहीं था !
माँगने वाला भिखारी भी नहीं था !

एक दिन…..??
घात हो गया !
कुछ छद्मी अधर्मी लोग , मानवता का बुरखा लगाकर पापभिरू राज्य में और लोगों में घूस गये !
पाप का भयावय उन्माद फैलाने के लिए उन्होंने एक भयंकर जालिम कपटनिती अपनाई !
और भोलेबाले लोगों के निष्पाप मन में आक्रोश फैलाना आरंभ किया !
सहिष्णु समाज युंही उनके जाल में फँसता गया !
जातिपाति में झगडने लगा !

पापी , अधर्मी ,विदेशी लुटारूओं ने फायदा उठाउठाकर देश का धन भी भरभरके लूट लिया !
यहाँ के आदर्श संस्कृति पर भयावय हमले भी किए !
और संपूर्ण आदर्श राज्य को तबाही में धकेल दिया !

आदर्श ,ईश्वर प्रिय राजा भी हैरान हुवा !
लोगों के मन में लगी हुई आत्मघाती आग वो कैसे बूझा सकता था ?
उनकी तबाही भी कैसे रोक सकता था ?

संपूर्ण राज्य बरबादी की ओर धकेलता जा रहा था !

और एक दिन ?
भयंकर, भयानक, भयावय हानि हो गई !
पापी , उन्मादी , लुटारू , आक्रमणकारी , अधर्मीयों ने देखते ही देखते देश के राजगद्दीपर कब्जा किया !

ऐश्वर्य में रहने वाला , नोकर चाकर , दासदासियाँ जिसकी सेवा में दिनरात लगे रहते थे , प्रजाहित दक्ष राजा , दर दर की ठोकरें खाने लगा ! जंगल जंगल भटकने लगा !
जहाँ हरदिन अन्नछत्र चलाए जाते थे , वह आदर्श राजा अन्न के एक एक कण के लिए मोहताज हो गया !

*क्रूर नियती भी तमाशा* *देखती रहती गई !*

ऐश्वर्य संपन्न राजा ने जिसको झोलीया भरभरके दान दिया था , वह कृतघ्न लोग भी राजा की सहायता करने के बजाए , उसको ही ठहाके लगालगाकर हँसने लगे !
बेईमान ,कृतघ्न, नमकहराम लोग !

राजा की धर्म पत्नी भी राजा का साथ छोडकर , अपने बच्चों को साथ लेकर , मायके चली गई !

थका हुवा , बेचारा अकेला राजा !
हताश ,उदास ,खिन्न !
दरदरकी ठोकरें खाता हुवा चारों ओर भिखारी जैसा घूमता था !
वेषांतर करके !

मगर फिर भी उसके मन में एक जबरदस्त जीत की इच्छाशक्ति जागृत थी ! आत्मविश्वास जागृत था !
जीद्द जागृत थी !

मैं *फिरसे जीतूंगा !*
संपूर्ण विश्व पर फिरसे ईश्वर का आदर्श राज्य खडा कर दूंगा….
ऐसा धधगता आत्मविश्वास उसके अंदर था !

ईश्वर भक्त तो था आखिर !
ईश्वर पर भरोसा करनेवाला !

और….
जीतने के लिए
संपूर्ण जीत के लिए
उसने….
कठोर तपस्या आरंभ की !
कठोर तप !
अखंड कठोर तपाचरण !

और….?
ईश्वर भी उसकी कठोर तपश्चर्या देखकर प्रसन्न हुवा !
और संपूर्ण धरतीपर ,विश्व पर ईश्वर निर्मित सत्य सनातन धर्म का , भगवा ध्वज लहराने का वरदान दिया !

धिरे धिरे राजा ने सैन्य शक्ति जमा की ! धिरे धिरे शक्ति भी बढायी !
और अभेद्य सेना फिरसे खडी करके….

घनघोर युध्द हुवा !
धर्म युध्द !

और ? राजा जीत गया !
फिरसे सत्य सनातन हिंदू धर्म का ध्वज लहराने के लिए ,
वह सम्राट बन गया !

मगर अब…?
उसने…?
झूठी सहिष्णुता का त्याग कर दिया था !
क्योंकि झूठी सहिष्णुता के कारण उसने सबकुछ खो दिया था !

उसकी आँख अब खुल गई है ! परोपकार भी किसके साथ करना है , भाईचारा भी किसके साथ निभाना है ?
यह बात अब वह समझ गया है !

*रामराज्य फिरसे आयेगा !*
*फिरसे धरती पर भगवा* *लहरायेगा !*

*जय श्रीराम !!*

🚩🚩🚩🚩🕉

*विनोदकुमार महाजन*

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!