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*हमारे ही घर में ?*
*हम सभी असुरक्षित है ??*
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हमारा घर ?
सुरक्षित था !
हम सभी ईश्वर पर प्रेम करनेवाले, भूतदया वाले , सहिष्णू ,परोपकारी, सुसंस्कृत थे !
सभीपर प्रेम करनेवाले !
पवित्र, निरपेक्ष, निस्वार्थ प्रेम !
खुद भूके रहकर दुसरों को रोटी खिलानेवाले !
” अतीथी देवो भव: ” का संदेश देनेवाले और ऐसा शुध्द, स्वर्गीय वातावरण रखनेवाले !
मगर !?
कुछ साल पहले !?
” भाईचारे ” की नौटंकी करके ,
” हमारे घर में ” मेहमान के रूप में ?
” वास्तव में ” एक घुसपैठी ,बेईमान , नमकहराम,रक्तपिपासू ,
आक्रांता घूस गया !
” हम जो ठहरे ? ”
मानवतावादी !
शत्रू पर भी प्रेम करनेवाले !
खुद का सबकुछ दूसरों को बहाल करनेवाले !
मगर ?
घात हो गया !
हमारी पवित्र नजरों ने , हमारे आदर्श सिध्दातों ने ही हमारा घात कर दिया !
क्योंकी ,
” भाईचारे का ड्रामा करनेवाला ही…”
” आस्तिन का साँप निकला ! ”
हमारी आँखे तो खुल गई !
मगर अब तो बहुत देर हो चुकी थी !
क्योंकी वह मेहमान, वह अतिथी ,वह भाईचारे वाला
अब….
हमारे ही घरपर कब्जा बोल रहा है !
हमारे ही मारकाट की भाषा बोल रहा है !
हमारे परोपकार, हमारी सहिष्णुता भूलकर ?
” वह अब भयंकर दरींदा ”
बन गया है !
और हम फिर भी बचावात्मक पवित्रे में थे !
अभी भी सहिष्णुता निभाते निभाते , उसको सुधारणे का मौका देते रहे !
क्योंकी हम आक्रमक, आक्रमणकारी कभी भी नही थे !
मगर अब तो …?
हमारे अस्तित्व का ही प्रश्न निर्माण हो गया है !
” वह ” हमें संपूर्णतः नेस्तनाबूत करके ही रहेगा !?
सो….???❓
सोचो ,समझो,जानो,जागो !
अब हमें ?
हाथ में शस्त्र लेकर ही लडना पडेगा !
अन्यथा ?
हमारा सर्वनाश अटल है !
” हमारा घर कौनसा है ? ”
जागो…जागो…जागो…
उन्मादी हारेगा नहीं !
जीतना उसकी आदत है !
भागना हमारी आदत है !
कबतक भागोगे ?
कहाँ भागोगे ??
लडेंगे तो बचेंगे !!
प्रेरणा देना ? हमारा काम है !
बचावात्मक लडना ? आपकी जिम्मेदारी !?
भगवत् गीता और भगवान श्रीकृष्ण भी आखिर यही सिखाते है ना ?
बाकी ??
आपकी मर्जी !
जय श्रीकृष्ण !!
जय सियाराम !!
🙏🙏🙏🙏🙏
*विनोदकुमार महाजन*